सिर्फ़ 1 मिनट की ये आदत आपकी ज़िंदगी 44% तक बढ़ा सकती है! जानिए कैसे
Vigorous Intermittent Lifestyle Physical Activity (VILPA) Benefits: क्या आप जानते हैं कि रोज़मर्रा की छोटी-छोटी, तेज़ गति की एक्टिविटीज़ आपकी ज़िंदगी को 44% तक बढ़ा सकती हैं? बिना जिम गए, बस 1 मिनट की इन आदतों को अपनाकर आप कई बीमारियों से बच सकते हैं।
हम सब जानते हैं कि हमें ज़्यादा चलना-फिरना चाहिए। लेकिन अक्सर स्वास्थ्य विशेषज्ञ हफ़्ते में 150 मिनट की मॉडरेट या 75 मिनट की ज़ोरदार फिजिकल एक्टिविटी की सलाह देते हैं, जो सुनने में असंभव सा लगता है। ख़ासकर जब आपका हफ़्ता बहुत व्यस्त हो। ऐसी स्थिति में हम यह सोचकर रुक जाते हैं, “जब इतना कर ही नहीं सकते, तो थोड़ा क्यों करें?”
लेकिन, यह याद रखना ज़रूरी है कि थोड़ी सी भी फिजिकल एक्टिविटी फ़ायदेमंद है, भले ही आप पूरी तरह से बताए गए नियम का पालन न कर पाएं। अगर आप 150 मिनट को तोड़कर देखें तो यह हर दिन सिर्फ़ 15 से 20 मिनट की वॉक है, जिससे मृत्यु का ख़तरा कम होता है। और इस 15-20 मिनट को भी आप दिन में दो या तीन बार 5-10 मिनट की वॉक में बांट सकते हैं।
हम अपनी रोज़मर्रा की आदतों में भी थोड़ी और फिजिकल एक्टिविटी शामिल कर सकते हैं, और यह भी ज़रूर काम आएगी। जैसे, अगर आप दिल का दौरा और स्ट्रोक के ख़तरे को कम करना चाहते हैं, तो लिफ़्ट की जगह सीढ़ियों का ज़्यादा इस्तेमाल करें। दिन भर में इस तरह की छोटी-छोटी, तेज़ गति वाली एक्टिविटीज़ आपके ब्लड प्रेशर को भी कम कर सकती हैं।
ऑस्ट्रेलिया, यू.के. और यू.एस. के रिसर्चर्स ने ‘विगरेस इंटरमिटेंट लाइफ़स्टाइल फिजिकल एक्टिविटी’ (VILPA) पर गहन अध्ययन किया। VILPA का मतलब है दिन भर में थोड़े-थोड़े समय के लिए की जाने वाली तेज़ गति वाली फिजिकल एक्टिविटी, जैसे सीढ़ियां चढ़ना। रिसर्चर्स ने यह पता लगाने की कोशिश की कि इस तरह की एक्टिविटी मृत्यु के ख़तरे को कैसे प्रभावित कर सकती है। उनके नतीजे medRxiv में प्रकाशित हुए हैं। आइए इन नतीजों को समझते हैं।
यह स्टडी कैसे की गई?
इस रिसर्च के लिए 2011 से 2014 तक ‘नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन एग्जामिनेशन सर्वे (NHANES)’ से आंकड़ें लिए गए। इसमें लगभग 3,300 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें से 52% महिलाएं थीं और इनकी औसत आयु 51 वर्ष थी।
सभी लोगों ने कम से कम तीन दिन के लिए अपनी कलाई पर एक ‘एक्सीलरोमीटर’ पहना। यह एक स्मार्टवॉच की तरह होता है जो फिजिकल एक्टिविटी की तीव्रता और अवधि को रिकॉर्ड करता है।
इन लोगों ने यह भी बताया कि वे किसी भी तरह की मॉडरेट या तेज़ गति की कसरत नहीं करते थे, जिसमें दौड़ना, बास्केटबॉल, गोल्फ़, साइकिलिंग या वॉक करना शामिल है। इससे रिसर्चर्स को उन एक्टिविटीज़ पर ध्यान देने का मौक़ा मिला जो हम प्राकृतिक रूप से दिन भर में करते हैं। उन्होंने अपने लैब में यह भी निर्धारित किया कि किसी भी एक्टिविटी को VILPA मानने के लिए कितना समय लगता है और उन्होंने पाया कि औसतन 73.5 सेकंड की एक्टिविटी को VILPA माना जा सकता है।
रिसर्चर्स ने ‘नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स’ की मदद से लोगों की मृत्यु को भी ट्रैक किया, जिसमें दिल की बीमारी, कैंसर और अन्य कारणों से हुई मौतें शामिल थीं।
इस स्टडी में क्या मिला?
कई तरह के सांख्यिकीय विश्लेषणों के बाद, जिसमें उम्र, लिंग और बीएमआई जैसे कारकों को भी शामिल किया गया, कई अहम निष्कर्ष सामने आए:
- हर दिन पाँच बार VILPA करने से सभी कारणों से मृत्यु का ख़तरा 44% तक कम हो गया, उन लोगों की तुलना में जो VILPA नहीं करते थे।
- हर दिन लगभग आठ बार VILPA करने से मृत्यु का ख़तरा 54% तक कम हो गया। आठ बार के बाद यह फ़ायदा स्थिर हो गया।
- हर दिन एक मिनट से कम की पाँच से छह VILPA एक्टिविटीज़ करने से मृत्यु का ख़तरा 42% से 47% तक कम हो गया।
- हर दिन लगभग चार बार एक मिनट से ज़्यादा की मॉडरेट-इंटेंसिटी एक्टिविटी करने से मृत्यु का ख़तरा 39% तक कम हो गया।
रिसर्चर्स को VILPA और दिल की बीमारी या कैंसर से होने वाली मौतों के बीच कोई ख़ास संबंध नहीं मिला। उन्होंने बताया कि ऐसा इन बीमारियों से मरने वाले लोगों की कम संख्या की वजह से हो सकता है।
इसे अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कैसे लागू करें?
अगर आप नियमित रूप से कसरत नहीं करते हैं, तो दिन भर में अपनी एक्टिविटीज़ को बढ़ाना एक अच्छी शुरुआत हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर आप ज़्यादातर समय डेस्क पर काम करते हैं, तो स्टैंडिंग डेस्क का उपयोग करें। खड़े होकर आप पैर उठाना, स्क्वाट्स, और यहां तक कि एक ही जगह पर टहलने जैसी कसरत कर सकते हैं। आप चाहें तो एक ‘वॉकिंग पैड’ भी ख़रीद सकते हैं, जो डेस्क के नीचे फ़िट हो जाता है।
दिन के बीच में ब्रेक लेना भी ज़रूरी है, जिसके शारीरिक और मानसिक दोनों फ़ायदे हैं। कुछ रिसर्च बताती हैं कि दिन में छोटी-छोटी एक्टिविटीज़ से दिमाग का “फ़ॉग” साफ़ होता है। दो मिनट का ब्रेक भी आपके सोचने के तरीक़े को बेहतर बना सकता है और आपकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकता है।
अन्य तरीक़े हैं: लिफ़्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करें, अपनी कार को पार्किंग में दूर पार्क करें ताकि आपको पैदल चलना पड़े, दिन भर अपनी चलने की गति को बढ़ाएं, और घर का सामान एक बार में लाने की बजाय दो-तीन बार में लाएं।
एक छोटी पानी की बोतल का उपयोग करें ताकि आपको उसे भरने के लिए बार-बार उठना पड़े। और ज़्यादा पानी पीने से भी बाथरूम जाने के लिए आपका चलना-फिरना बढ़ता है।
एक्सपर्ट की राय
यह स्टडी बताती है कि दिन भर में छोटी-छोटी, तेज़ गति की एक्टिविटीज़ करने से समय से पहले मृत्यु का ख़तरा काफ़ी हद तक कम हो सकता है। यह रिसर्च इस बात का और सबूत देती है कि ज़्यादा फिजिकल एक्टिविटी करना आपके शरीर के लिए अच्छा है। और इसके फ़ायदे सिर्फ़ मृत्यु के ख़तरे को कम करने तक ही सीमित नहीं हैं। उदाहरण के लिए, ज़्यादा फिजिकल एक्टिविटी से डिमेंशिया का ख़तरा कम होता है, और हफ़्ते में सिर्फ़ 1 से 35 मिनट की मॉडरेट-टू-विग्रेस फिजिकल एक्टिविटी से भी डिमेंशिया का ख़तरा कम होता हुआ पाया गया है।
इन सब का यही मतलब है कि हर छोटी सी कोशिश भी मायने रखती है। तो अपनी ज़िंदगी में ज़्यादा फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करने के तरीक़े खोजें—बिना जिम गए भी यह संभव है।